ग़ज़ल1
चाहे सबसे ,यारी रख।
हमसे दुनियादारी रख।
जीवन में थोड़ी- थोड़ी,
ग़म से साझेदारी रख।
रातों में मदहोशी पर ,
दिन से दूर ख़ुमारी रख।
रस्ता, दूरी, मुश्क़िल में,
सब अपनी तैयारी रख ।
अपनी -अपनी कहता है,
कुछ तो बात हमारी रख।
बहलाने मन को अपने,
यादें मीठी- खारी रख।
2
साथ अपने जहाँ मिल गए।
हाथ उनसे वहाँ मिल गए।
दूरियों का पता न चला,
रास्ते कब कहाँ मिल गए।
कट गया मुश्किलों का सफ़र,
लोग सब मेहरबाँ मिल गए।
जो तलाशे वहाँ दूर तक,
वो सभी अब यहाँ मिल गए।
था मिलेंगे किसी दौर में,
वो इसी दरमियाँ मिल गए।
ख़ुशनसीबी रही वास्ते,
फिर से हमकों जवाँ मिल गए।
साथ रहकर गए जो निकल,
फ़िर वही कारवाँ मिल गए।
हाल ऐसा हमारा रहा,
सख़्त कुछ इम्तिहाँ मिल गए।
3
भले थोड़ी मुसीबत तो रही ।
कहानी में हक़ीकत तो रही ।
मिला उतना, लगाया जितना,
चलो इतनी ग़नीमत तो रही ।
रहा कोई कहीं हो दूर पर,
उसे हमसे अक़ीदत तो रही ।
बुलाये वो हमें या हम उसे ,
सफ़र में ये ज़रूरत तो रही ।
कभी मानी नहीं जिसकी कही,
हमें उसकी नसीयत तो रही ।
बिताई जिंदगी हमनें जैसी,
अभी तक वो तबी'अत तो रही ।
4
अभी वो रात है बाक़ी
हमारी बात है बाक़ी।
अभी वो चाँद तारों की,
सजी बारात है बाक़ी ।
जिसे पाया नहीं हमनें,
वही सौगात है बाक़ी।
हमारे सामने आकर,
रुके हालात है बाक़ी।
कभी सोचे, सुने हमनें,
सभी जज़्बात है बाक़ी।
किसी की जीत है बाक़ी,
हमारी मात है बाक़ी।
5
ग़ज़ल
वास्ता आपसे पला करता।
सिलसिला उम्र भर चला करता।
मूंद कर आँख, चाँद सो जाता,
जब दिया रात भर जला करता।
लोग रुकते यहाँ ,गुज़रने वाले,
पेड़ जब राह का फला करता।
देखकर दूर से उसे कहीं जाते,
हाथ अपने यहाँ मला करता।
हाथ आता वो किस तरह मौका,
पास आकर अग़र टला करता ।
दिल हमेशा नर्म ज़ुबाँ रखकर,
किस तरह सख़्त फ़ैसला करता।
अमझेरा धार मप्र
पिन 454441
9893119724
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