महेश कुमार केशरी
संदेश मोटरसाईकल चलाते हुए किसी तरह कैलाश अपार्टमेंट पहुँचा था। रात के बारह बज गये थे। एक तो इतनी रात और ऊपर से ठंड जैसे संदेश की गरीबी और बेकारी की परीक्षा ले रहें थे। बहुत मजबूरी में आजकल वो फूड़ आऊटलेट की एक कंपनी ’डीलिशिस’ में काम कर रहा था। किसी तरह घिच - घाच कर वो ग्रेजुऐशन कर पाया था। लेकिन घर की माली हालत तो मैट्रिक करते - करते खराब होने लगी थी। बूढ़े - होते माँ - बाप की जिम्मेदारी और बहन की शादी में लिये कर्ज को चुकाने की जिद । ये जो डीलिशिस वाला काम था। कम से कम बेरोजगारी से तो एक बेहतर स्थिति में तो लाकर खड़ा कर ही देता था, लेकिन ये नौकरी भी भला कोई नौकरी है। साढ़े तीन सौ की दिहाड़ी रोज पाता है। वो ’डीलिशिस’ से। चाहे गर्मियों की चिलचिलाती घूप हो या सर्दियों के ठंड भरे दिन। उसे हर हाल में डिलीवरी करनी होती है। आदमी के अंदर क्रूरता इतनी भरी हुई है कि दरवाजा खोलने के बाद लोग मुस्कुराकर स्वागत करना तो दूर, एक ग्लास पानी के लिये भी नहीं पूछते। पैकेट लेते हैं - ’ कितना हुआ’ जैसे जुमलों के साथ ही दरवाजे को मुँह पर भेड़ने की कवायद सी चल पड़ी है। उनके साथ संदेश का केवल इतना भर संबंध होता है और धड़ाम से एक दरवाजे के मुँह पर बंद होने का शोर सुनाई देता है।
किसी तरह संदेश सीढ़ियाँ चढ़कर बी .56 के कमरे में पहुँचा ’ सर, टैफिक थोड़ा ज्यादा था इसलिए खाने का पार्सल लाने में थोड़ी देरी हो गई। नहीं तो हम हमारे ग्राहको को समय पर डिलीवरी देने का प्रयास करते हैं’
संदेश ने जैसे सफाई देनी चाही। और वो भी समय पर ट्रैफिक के कारण नहीं पहुँच पाया। इसका कारण बताना चाहा।
- ये तुम वापस ले जाओ। दरअसल तुम्हें ऑर्डर करने के बाद मेरे दोस्त बाजार से चीज - पनीर और ढेर सारे पिज्जा लेकर आ गये थे। और मुझे इसका अंदाजा तब हुआ। जब वे लोग सारा सामान लेकर मेरे घर पहुँचे। तब तक मैं तुम्हें ऑर्डर कर चुका था। मेरे दोस्तों ने दरअसल आज जमकर पार्टी की। दरअसल आज मेरे एक दोस्त भिखू का जन्म दिन था। इसलिए वो एक केक लेकर यहाँ घर पर ही आ गया था। घर में इंतजाम करने में ही मेरा सारा समय निकल गया। लिहाजा, तुम्हारे लगाये ऑर्डर को मैं कैंसल नहीं कर पाया। अभी मैं, वो ऑर्डर कैंसिल कर देता हूँ । नाहक ही तुम्हें इतनी ठंड में परेशानी उठानी पड़ी।
लेकिन तभी उसे अपने कुत्ते होलो का ख्याल आया।
- पार्टी के कारण लगता है,मेरा कुत्ता भूखा ही सो गया। पार्टी के कारण उसकी ओर मेरा ध्यान ही नहीं गया।
- होलो - होलो ... कहाँ हो तुम। टैरिस ने अपने पालतू कुत्ते को आवाज लगाई। ठंड भी बहुत पड़ रही है। लगता है, मेरा होलो भी ठंड के कारण बहुत जल्दी सो गया। टैरिस, संदेश से बोला। तभी होलो धीरे - धीरे पूँछ डुलाता हुआ बॉलकॉनी में आ गया।
- हे,मेरा बच्चा अभी सोया नहीं ? टैरिस कुत्ते को पुचकारते हुए बोला । बदले में होलो कुँकियाया।
टैरिस ने मेज पर पड़ा खाने का पैकेट उठाया और पैकेट खोला।
कुछ तो देरी के कारण और कुछ ठंड के कारण खाना ठंडा पड़ गया था। टैरिस ने खाना होलो की तरफ बढ़ाया। कुछ देर होलो खाने के पास ही खड़ा रहा। उसके बाद उठकर बॉलकानी में कहीं चला गया।
टैरिस के मुँह से निकला - नॉटी ब्यॉय।
टैरिस,संदेश से बोला - दर असल मेरी तरह मेरा कुत्ता भी ठंडा खाना नहीं खाता। उसे भी गर्म खाना खाने की आदत है। मेरा ऑवेन भी अभी खराब है। मैं ऑर्डर कैंसल कर रहा हूँ। नहीं तो कंपनी तुम्हारी जेब से पैसे काट लेगी। मेरे लिये अब ये खाना बेकार है। जाते हुए इस खाने को बाहर डस्टबिन में डालते हुए जाना।
संदेश ने खाना वापस डब्बे में भरा और सीढ़ियों से नीचे उतर आया। दिन भर की भाग - दौड़ से संदेश बहुत थक गया था। उसे बहुत भागदौड़ के कारण अब भूख भी लग आई थी। वहीं जमीन पर बैठकर सोचने लगा कि अब क्या किया जाये ? घर पहुँचने में भी अभी आधे घंटे का वक्त लगेगा।
तभी उसके मोबाईल पर उसको मिले ऑर्डर के कैंसिल होने का मैसेज मिला। उसने चैन की साँस ली। और मन ही मन टैरिस को शुक्रिया अदा किया।
खाने के पैकेट पर जब ध्यान गया तो सोचा- इसे डस्टबिन में क्यों डालूँ ?
मारे भूख के उसके पेट में चूहे दौड़ रहें थे। खाने की पैकेट से खाना निकालकर वो धीरे - धीरे खाने लगा था।
मेघदूत मार्केट फुसरो
बोकारो ( झारखंड) पिन- 829144
email-keshrimahesh322@gmail.com
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