ग़ज़ल--1
हमने जिसको बुलवाया।
पर वो पास नहीं आया।
अक़्सर फ़िर तन्हाई में,
हमने ख़ुद को बहलाया।
था जिसमें मीठा सरगम,
गीत वही हमने गाया।
जो सीरत का अच्छा था,
उसको खुलकरअपनाया।
दिल का ऊँचा- नीचापन,
सब आँखों ने समझाया।
छाप हमारी वैसी थी,
जिसकी थी हम पर छाया।
जीवन भर समझा हमने,
सब अपना खोया-पाया।
2
खुशी के सिलसिले चलते नहीं हैं।
जहाँ तक वास्ते पलते नहीं हैं।
ठहरना हो वहाँ कैसे हमारा,
शज़र जिस रास्ते फ़लते नहीं हैं।
चले हैं जो समय के साथ अक़्सर,
कभी फ़िर हाथ वो मलते नहीं हैं।
रखी है आयने से दोस्ती फ़िर,
किसी की आँख वो ख़लते नहीं हैं।
सधा सब क़ायदा है आसमाँ का,
सितारे राह से टलते नहीं हैं।
तपे हैं आग में पहले कभी वो,
जो टुकड़े ईंट के गलते नहीं हैं।
3
और इक माहताब देख लिया।
आपको बेनक़ाब देख लिया।
रोज़ देखे हँसी नज़ारों में,
आज इक लाज़वाब देख लिया।
नींद में जो नहीं हुआ हासिल,
जागते भी वो ख़ाब देख लिया।
आज ख़ुशबू से महक जाएंगे,
बाग में वो ग़ुलाब देख लिया।
आसमाँ से ज़मीन के तन पर,
कोई दरिया चिनाब देख लिया।
जो उठे थे यहाँ सवाल कभी,
आज उनका जवाब देख लिया।
4
परों पर हौंसले परवान छूने।
परिंदे उड़ चले दिनमान छूने।
सभी अपने इरादे साथ लेकर,
नई मंज़िल ,सफ़र अन्ज़ान छूने।
कभी आँखों में जो सपनें पले थे,
वही निकले सही पहचान छूने।
किसी को आसमाँ का डर नहीं है,
उठें हैं अब सभी अरमान छूने।
हवाओं से रुकेंगे वो भला क्या,
चलें हैं जो वहाँ तूफ़ान छूने।
5
सफ़र का क़ायदा रखना जरा सा।
थकें जब पाँव तो रुकना जरा सा।
कोई पीछे तुम्हारा रह गया है,
उसी का रास्ता तकना जरा सा।
भुलावें , मुश्किलों से बच सकोगे,
इशारा देखकर चलना जरा सा।
मिले या न मिले तारीफ़ कोई,
कभी अपने लिए सजना जरा सा।
हज़ारों हसरतें दिल में पली हैं,
बदी की चाह से बचना जरा सा।
किसी की बात से हो बेख़बर पर,
हमारी बात पर रहना जरा सा।
6
मुँह मीठा मन खारा मत कर।
जीती बाजी हारा मत कर।
धूप, हवा से डर कर अपने,
आँगन को चौबारा मत कर।
रुक जाए पैमाना लब पर,
इतना मन को मारा मत कर।
न कहने की कहकर बातें,
दिल का बोझ उतारा मत कर।
अपनी है उस हद से ज़्यादा,
अपने पैर पसारा मत कर।
साथ रहें हैं जो रस्ते भर ,
उनके साथ किनारा मत कर।
मिलना है मिल जाएगा वो,
इतना, उतना, सारा मत कर।
7
लगी है बेड़ियाँ लाचारियों की।
कठिन है राह जिम्मेंदारियों की।
करेंगे हम हमेशा बात उनकी,
रिवायत सीख ली ख़ुद्दारियों की।
अग़र हो वक़्त पर ,वो काम पूरा,
ज़रूरत है बड़ी तैयारियों की ।
जहाँ राजा दिखाये रौब अपना,
वहाँ चलती नहीं दरबारियों की।
रखेंगे किस तरह वो भाईचारा,
रही आदत जिन्हें ग़द्दारियों की।
उन्हें वो देखता है , सीखता है,
जिसे दरकार है फ़नकारियों की।
8
बहुत याद आया भुलाने से पहले।
कि जी भर रुलाया हँसाने से पहले।
शिकायत,हिदायत,अदावत,बग़ावत,
इन्हें आज़माया निभाने से पहले।
रखूँगा सजाकर जिसे अपने दिल में,
वही सब जताया छुपाने से पहले।
यही आसमाँ की रिवायत रही है,
सभी को उठाया गिराने से पहले।
मिला यार मुझसे कभी जब कहीं तो,
वो रूठा-रुठाया मनाने से पहले।
भरोसा नहीं था जिसे गा सकूँगा,
उसे गुनगुनाया सुनाने से पहले।
अमझेरा धार मप्र
पिन 454441
मो 9893119724
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